Date : 2025-09-14
भारतीय ज्योतिष में ग्रहों का अत्यधिक महत्व है। जब सूर्य और राहु एक ही राशि में एक साथ आते हैं, तब सूर्य राहु ग्रहण दोष बनता है। यह योग व्यक्ति के जीवन पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसे एक प्रकार का छाया दोष भी माना जाता है।
सूर्य राहु ग्रहण दोष क्या है ?
जब जन्म कुंडली में राहु (छाया ग्रह) सूर्य के साथ एक ही भाव (house) में स्थित होता है, तब इसे सूर्य राहु ग्रहण दोष कहा जाता है। चूंकि राहु एक छाया ग्रह है, यह सूर्य की ऊर्जा को ढँक देता है – जैसे वास्तविक सूर्यग्रहण में होता है।
इस दोष के प्रमुख प्रभाव :
1. पिता से संबंधों में तनाव
2. सरकारी कार्यों में बाधा
3. आत्मविश्वास की कमी
4. मानसिक तनाव और भ्रम की स्थिति
5. प्रभुत्वशाली व्यक्तियों से विरोध
6. आत्म-संयम की कमी और ग़लत निर्णय लेने की प्रवृत्ति
कैसे पहचाने सूर्य राहु ग्रहण दोष ?
ज्योतिषी कुंडली का विश्लेषण कर यह निर्धारित करते हैं कि सूर्य और राहु एक ही भाव में हैं या नहीं। यह दोष मुख्यतः लग्न कुंडली या चंद्र कुंडली से जाना जाता है।
सूर्य राहु ग्रहण दोष के उपाय:
यदि आपकी कुंडली में यह दोष हो, तो कुछ विशेष उपायों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है:
1. सूर्य को अर्घ्य देना – प्रतिदिन प्रातः सूर्य को जल अर्पण करें।
2. राहु मंत्र का जाप करें
`ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः`
(108 बार प्रतिदिन जाप करें)
3. सूर्य मंत्र का जाप करें
ॐ घृणिः सूर्याय नमः`
4. काले तिल और गुड़ का दान – शनिवार को।
5. छाया दान और पितृ तर्पण – पितरों की शांति हेतु।
6. ग्रहण के समय विशेष पूजा या जप – ग्रहण के दौरान किया गया जप कई गुना फलदायक होता है।
निष्कर्ष
सूर्य राहु ग्रहण दोष कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि एक ज्योतिषीय संकेत है कि आत्मविकास और कर्मशुद्धि की आवश्यकता है। यदि समय रहते उचित उपाय किए जाएं, तो इसका प्रभाव काफी हद तक कम किया जा सकता है।
क्या आपकी कुंडली में है सूर्य राहु ग्रहण दोष ?
यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में यह दोष है या नहीं, तो मुझ से परामर्श लें सकते है और संपर्क कर सकते है।
ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा
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