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मेष लग्न से लेकर मीन लग्न में नीच के मंगल के फल

Date : 2021-02-03

मेष लग्न से लेकर मीन लग्न में नीच के मंगल के फल



मेष लग्न में नीच का मंगल चौथे स्थान में होता है चौथा स्थान प्रॉपर्टी, माता, जन्म स्थान का होता है। चौथे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण प्रॉपर्टी से जुडी समस्या की सम्भावना रहेगी। अपना मकान बनने में देरी होगी। फेफड़ो से सम्बंधित समस्या होने के योग बनेंगे। चोट एक्सीडेंट के योग बनेंगे। पाइल्स और कब्ज जैसी समस्या होगी। अचानक धन हानि होने की सम्भावना रहेगी। माता को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या हो सकती है। बड़े भाई से वाद विवाद और झगड़े होंगे। छोटे भाई के सुख में कमी रहेगी। पत्नी से झगड़े के योग बनेंगे। टेक्निकल फील्ड में कार्य करने के योग बनेंगे।

वृष लग्न में नीच का मंगल तीसरे स्थान में होता है तीसरा स्थान मेहनत, पराक्रम, छोटे भाई बहन का होता है। तीसरे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति नहीं होती है छोटे भाई के सुख में कमी रहती है। वृष लग्न में मंगल बारवे स्थान और सातवे स्थान का मालिक भी होता है बारवा स्थान उल्टी आंख का होता है नींद का होता है और विदेश का होता है और खर्च का होता है और सातवा स्थान पत्नी का होता है और पार्टनरशिप का होता है इसलिए तीसरे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण उल्टी आंख कमजोर हो सकती है। आपके व्यर्थ के खर्चे होंगे। आपको रात को देर से नींद आने की समस्या हो सकती है। पत्नी से लड़ाई झगड़े हो सकते है। पार्टनरशिप में बिज़नेस करने पर नुकसान होने के योग बनते है। भाग्य में रूकावट रहेगी। टेक्निकल फील्ड में कार्य करने के योग बनेंगे। शत्रु समाप्त होंगे।

मिथुन लग्न में नीच का मंगल दूसरे स्थान पर होता है दूसरा स्थान पैतृक संपत्ति, धन संचय, गले, सीधी आँख, वाणी और परिवार का होता है। मिथुन लग्न में मंगल छठे स्थान और ग्यारवे स्थान का मालिक होता है। छठा स्थान लड़ाई झगड़े, कर्ज और रोग का होता है और ग्यारवा स्थान बड़े भाई और धन लाभ का होता है। इसलिए मिथुन लग्न में दूसरे स्थान पर नीच का मंगल होने के कारण परिवार में लड़ाई झगड़े और स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या रहेगी। परिवार में वाद विवाद के योग बनेंगे। सीधी आंखे कमजोर होने के योग बनेंगे। आँखों पर चोट भी लग सकती है। गले से सम्बंधित समस्या हो सकती है। मुख के रोग हो सकते है। धन हानि के योग बनेंगे। धन जमा करने में समस्या रहेगी। कर्ज के योग बनेंगे। बड़े भाई के सुख में कमी रहेगी। इनकम में रूकावट रहती है इनकम का फ्लो रुकने के योग बनेंगे। अच्छी इनकम नहीं हो पाएगी। पैतृक संपत्ति के लिए लेकर वाद विवाद, लड़ाई झगड़े होंगे।

कर्क लग्न में नीच का मंगल लग्न में ही होता है। कर्क लग्न में मंगल पाचवे स्थान और दसवे स्थान का मालिक होता है। पांचवा स्थान संतान, पढ़ाई, मित्र, प्लानिंग, पेट का होता है और दसवा स्थान करियर और पिता का होता है कर्क लग्न में नीच का मंगल लग्न में होने पर भी लाभ होता है क्योकि मंगल केंद्र और त्रिकोण का मालिक होकर लग्न में बैठा हुआ है इसलिए लग्न में नीच का मंगल होने के कारण भी पढ़ाई पूरी होगी। संतान होगी। मित्र होंगे। लेकिन मित्रो से मतभेद और झगड़े होने के योग बनेंगे। अच्छी नौकरी के योग बनेंगे। लेकिन नौकरी में परेशानी भी रहेगी। पिता से मतभेद रहेंगे। क्रोध अधिक आएगा। सिर या माथे पर चोट लग सकती है। पत्नी भी क्रोधी स्वभाव की होगी। कब्ज और पाइल्स जैसी समस्या की संभावना रहेगी।

सिंह लग्न में नीच का मंगल बारवे स्थान में होता है। सिंह लग्न में मंगल भाग्य, प्रॉपर्टी, माता, सुख साधन, जन्म स्थान, वेहिकल का मालिक होता है। बारवा स्थान खर्च, नुकसान, नींद, उल्टी आंख का होता है। बारवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण भाग्य में रूकावट रहेगी। प्रॉपर्टी सुख में कमी रहेगी। माता को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या रहेगी। दो शादी के योग बनेंगे। उल्टी आंख कमजोर रहेगी। रात को देर से नींद आएगी। शत्रु समाप्त होंगे। पत्नी क्रोधी स्वभाव की होगी। पत्नी से मतभेद हो सकते है। शादी के बाद भाग्य उदय होगा। जन्म स्थान से दूर सफलता प्राप्त होने के योग बनेंगे। जुए, सट्टे, लॉटरी में धन हानि होगी।

कन्या लग्न में नीच का मंगल ग्यारवे स्थान में होता है ग्यारवा स्थान इनकम, बड़े भाई का होता है और कन्या लग्न में मंगल तीसरे स्थान और आठवे स्थान का मालिक होता है। तीसरा स्थान मेहनत, पराक्रम, छोटे भाई का होता है और छोटी यात्रा और पड़ोसी का होता है आठवा स्थान अचानक धन हानि और अचानक होने वाले धन लाभ का होता है आठवे स्थान से गुप्त रोग भी देखे जाते है। ग्यारवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण छोटे भाई के सुख में कमी रहती है मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति नहीं होती है मेहनत व्यर्थ हो जाती है। छोटी यात्राओं में परेशानी रहती है पड़ोसियों से वाद विवाद और झगड़े होते है। पराक्रम में कमी रहती है। अचानक धन हानि होती है लाभ में कमी रहती है अच्छी इनकम होने में रूकावट रहती है। कब्ज और पाइल्स जैसी समस्या की संभावना रहती है। दुर्घटना की सम्भावना रहती है।

तुला लग्न में नीच का मंगल दसवे स्थान में होता है। दसवा स्थान करियर का होता है और पिता का होता है तुला लग्न में मंगल दूसरे स्थान और सातवे स्थान का मालिक होता है दूसरा स्थान परिवार, धन संचय, वाणी, गले का होता है और सातवा स्थान शादी और पार्टनरशिप का होता है। तुला लग्न में नीच का मंगल होने के कारण करियर में समस्या रहती है कार्य क्षेत्र में स्थिरता और तरक्की प्राप्त होने में रूकावट रहती है पिता को कष्ट के योग बनते है शादी में देरी और रूकावट के योग बनते है और शादी के बाद पति पत्नी के बीच मतभेद और झगड़े के योग बनते है। पार्टनरशिप में बिज़नेस करने पर नुकसान होने के योग बनते है। परिवार से मतभेद की स्थिति रहती है वाणी दोष के योग बनते है गले में इन्फेक्शन की सम्भावना रहती है धन हानि के योग बनते है धन जमा करने में समस्या रहती है।

कन्या लग्न में नीच का मंगल ग्यारवे स्थान में होता है ग्यारवा स्थान इनकम, बड़े भाई का होता है और कन्या लग्न में मंगल तीसरे स्थान और आठवे स्थान का मालिक होता है। तीसरा स्थान मेहनत, पराक्रम, छोटे भाई का होता है और छोटी यात्रा और पड़ोसी का होता है आठवा स्थान अचानक धन हानि और अचानक होने वाले धन लाभ का होता है आठवे स्थान से गुप्त रोग भी देखे जाते है। ग्यारवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण छोटे भाई के सुख में कमी रहती है मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति नहीं होती है मेहनत व्यर्थ हो जाती है। छोटी यात्राओं में परेशानी रहती है पड़ोसियों से वाद विवाद और झगड़े होते है। पराक्रम में कमी रहती है। अचानक धन हानि होती है लाभ में कमी रहती है अच्छी इनकम होने में रूकावट रहती है। कब्ज और पाइल्स जैसी समस्या की संभावना रहती है। दुर्घटना की सम्भावना रहती है।

तुला लग्न में नीच का मंगल दसवे स्थान में होता है। दसवा स्थान करियर का होता है और पिता का होता है तुला लग्न में मंगल दूसरे स्थान और सातवे स्थान का मालिक होता है दूसरा स्थान परिवार, धन संचय, वाणी, गले का होता है और सातवा स्थान शादी और पार्टनरशिप का होता है। तुला लग्न में नीच का मंगल होने के कारण करियर में समस्या रहती है कार्य क्षेत्र में स्थिरता और तरक्की प्राप्त होने में रूकावट रहती है पिता को कष्ट के योग बनते है शादी में देरी और रूकावट के योग बनते है और शादी के बाद पति पत्नी के बीच मतभेद और झगड़े के योग बनते है। पार्टनरशिप में बिज़नेस करने पर नुकसान होने के योग बनते है। परिवार से मतभेद की स्थिति रहती है वाणी दोष के योग बनते है गले में इन्फेक्शन की सम्भावना रहती है धन हानि के योग बनते है धन जमा करने में समस्या रहती है।

वृश्चिक लग्न में नीच का मंगल भाग्य स्थान पर होता है वृश्चिक लग्न में मंगल लग्नेश होता है और छठे स्थान का मालिक भी होता है छठा स्थान लड़ाई झगड़े, रोग और कर्ज का होता है इसलिए वृश्चिक लग्न में भाग्य स्थान पर नीच का मंगल होने के कारण कर्ज के योग बनते है भाग्य में रूकावट रहती है स्वास्थ्य सम्बंधित कोई न कोई समस्या लगी रहती है लड़ाई झगड़े के योग बनते है। कमर, कूल्हों से सम्बंधित समस्या रहती है। शरीर कमजोर रहता है।

धनु लग्न में नीच का मंगल आठवे स्थान में होता है। आठवा स्थान गुप्त रोग, नाश और अचानक धन हानि का होता है। धनु लग्न में मंगल पाचवे स्थान और बारवे स्थान का मालिक होता है। पांचवा स्थान संतान, पढ़ाई, मित्र, प्लानिंग, पेट का होता है और बारवा स्थान विदेश, नींद और खर्च का होता है इसलिए आठवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण पढ़ाई में रूकावट रहती है। पेट की समस्या रहती है। कब्ज और पाइल्स की समस्या होती है। गर्भपात के योग बनते है। प्लानिंग सफल नहीं होती है विदेश से नुकसान होता है रात को देर से नींद आती है। खर्चे अधिक होते है। अचानक धन हानि होती है। आंखे कमजोर होने की सम्भावना रहती है।

मकर लग्न में नीच का मंगल सातवे स्थान में होता है सातवा स्थान शादी और पार्टनरशिप का होता है। मकर लग्न में मंगल चौथे स्थान और ग्यारवे स्थान का मालिक होता है। चौथा स्थान प्रॉपर्टी, जन्म स्थान, माता, वेहिकल का होता है और ग्यारवा स्थान इनकम और बड़े भाई का होता है। इसलिए मकर लग्न में सातवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण प्रॉपर्टी सुख देर से प्राप्त होता है। माता को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या रहती है। पति पत्नी में लड़ाई झगड़े होते है तलाक के योग बनते है इनकम में रूकावट रहती है अच्छी इनकम नहीं होती है इनकम का फ्लो रुक जाता है पार्टनरशिप में बिज़नेस करने पर नुकसान होने के योग बनते है। वेहिकल दुर्घटना की सम्भावना रहती है।

कुम्भ लग्न में नीच का मंगल छठे स्थान में होता है। छठा स्थान रोग, कर्ज और शत्रुओ का होता है। कुम्भ लग्न में मंगल तीसरे स्थान और दसवे स्थान का मालिक होता है। तीसरा स्थान छोटे भाई बहन, हिम्मत, मेहनत, छोटी यात्रा, पड़ोसियों का होता है। दसवा स्थान करियर और पिता का होता है। छठे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण मेहनत के अनुसार फल की प्राप्ति नहीं होती है हिम्मत में कमी रहती है। छोटे भाई बहन के सुख में कमी रहती है चेस्ट इन्फेक्शन और ब्लड सम्बंधित रोग की सम्भावना रहती है। पड़ोसियों से लड़ाई झगड़े होते है छोटी यात्रा में परेशानी रहती है। उल्टी आंख में परेशानी रहती है। भाग्य में रूकावट रहती है। बार बार जॉब छूटने या काम बदलने के योग बनते है पिता को स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या रहती है लड़ाई झगड़े होते है। कर्ज के योग बनते है।

मीन लग्न में नीच का मंगल पंचम भाव में होता है। पंचम भाव संतान, मित्र, प्लानिंग, पेट और लव अफेयर का होता है। मीन लग्न में मंगल दूसरे स्थान और भाग्य स्थान का मालिक होता है। दूसरा स्थान परिवार, गले, वाणी, आंख, धन संचय का होता है। पाचवे स्थान में नीच का मंगल होने के कारण पढ़ाई में थोड़ी रूकावट रहती है लेकिन पढ़ाई पूरी हो जाती है। मित्रो से लड़ाई झगड़े होते है लव अफेयर टूट जाते है वाणी दोष के योग बनते है आंखे कमजोर हो जाती है। परिवार में लड़ाई झगड़े के योग बनते है धन संचय में कमी रहती है भाग्य में रूकावट रहती है मेहनत के अनुसार भाग्य का साथ प्राप्त नहीं होता है पेट की समस्या होती है। लम्बी दूरी की यात्रा में परेशानी रहती है। उल्टी आंख में भी परेशानी रहती है। कब्ज और पाइल्स जैसी समस्या की सम्भावना रहती है। प्लानिंग सफल नहीं हो पाती है।



एस्ट्रोलोजर : महेश शर्मा 

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