Date : 2023-03-31
श्रवण कुमार की कहानी
श्रवण कुमार का उल्लेख रामायण के अयोध्या काण्ड में मिलता है। श्रवण कुमार के माता पिता अंधे थे। श्रवण कुमार पूरी श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। श्रवण कुमार अपने माता पिता को कावड़ में बिठाकर तीर्थ यात्रा करवा रहे थे। जब वे अयोध्या में पहुंचे तो रात्रि के समय में उनके माता पिता को प्यास लगी और श्रवण कुमार सरयू नदी से पानी लेने सरयू तट पर गए वहां पहले ही दशरथ जी शिकार के लिए आए हुए थे। श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना तुंबा डुबोया तो दशरथ ने समझा कोई हिरन पानी पी रहा है। उन्होंने शब्दभेदी बाण चला दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा। दशरथ को दुखी देख मरते हुए श्रवण कुमार ने कहा मुझे अपनी मृत्यु का दुःख नहीं है लेकिन माता पिता के लिए बहुत दुःख है। आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और पानी पिलाकर उनकी प्यास शांत करें। जब दशरथ जी पानी लेकर श्रवण कुमार के माता पिता के पास पहुंचे तो दशरथ जी ने हिम्मत करके पूरी बात श्रवण कुमार के माता पिता को विस्तार पूर्वक बताई जिसे सुनकर श्रवण कुमार के माता पिता ने दशरत जी को श्राप दे दिया और कहा जिस तरह से तेरे कारण हम पुत्र वियोग में तड़प रहे है उसी तरह तू भी हमारी ही तरह पुत्र वियोग में तड़प कर प्राण त्याग करेगा। ये कथा रामायण के अयोध्या काण्ड में मिलती है।
श्रवण कुमार के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नप्रश्न : श्रवण कुमार की शादी हुई थी ?
उत्तर : रामायण के अनुसार, श्रवण कुमार ने अपने नेत्रहीन माता-पिता की देखभाल के लिए अविवाहित रहकर अपने जीवन का त्याग कर दिया।
प्रश्न : श्रवण नदी में क्यों गया था ?
उत्तर : श्रवण अपने अंधे माता-पिता के लिए पानी लाने गया।
प्रश्न : श्रवण कुमार ने मरने से पूर्व क्या कहा ?
उत्तर : श्रवण बोला कि मेरे माता पिता बहुत प्यासे है। वो ज्यादा देर तक प्यास बरदाश्त नही कर पायेंगे। यह कहकर श्रवण की मृत्यु हो गई।
प्रश्न : श्रवण कुमार की क्या विशेषता थी ?
उत्तर : मातृ पितृभक्त श्रवण कुमार एक आदर्श मातृ पितृभक्त पुत्र है।