ज्योतिष में तिथियां का महत्व

Date : 2021-02-14

ज्योतिष में तिथियां का महत्व

शुभ व् अशुभ तिथियां : प्रत्येक पक्ष में १५ तिथियां होती है. इन तिथियों का प्रभाव भी जातक पर पड़ता आता है. इन तिथियों के नाम के अनुसार ही इनका शुभ और अशुभ फल माना जाता है. ये तिथियों प्रत्येक पक्ष में पांच प्रकार की होती है.

१. नंदा तिथियां : १,६,११ तिथियां नन्दा तिथियां कहलाती है. इन तिथियों में शुभ कार्य किया जा सकता है. गृह संबंधी कार्य, बीज बोना, दाखिला लेना, नृत्य सीखना अच्छा होता है. इन तिथियों में अगर शुक्रवार हो तो यह सिद्धि नामक योग बनता है. जिससे प्रत्येक कार्य सिद्ध होता है. अगर इन तिथियों में रविवार और मंगलवार हो तो मृत्युनामक योग बनता है. शुभ कार्य वर्जित है.

२.भद्रा तिथियां : २,७,१२ तिथियां भद्रा तिथियां कहलाती है. इन तिथियों में विवाह करना, यात्रा करना, गाय, भैंस, हाथी व घोड़े खरीदना, कार व स्कूटर खरीदना, नए वस्त्र लेना, आभूषण बनवाना या आभूषण खरीदना अत्यादि कार्यो के लिए अच्छा होता है. इन तिथियों में अगर बुधवार आ जाए तो सभी कार्य सिद्ध हो जाते है. इससे भी सिद्ध नामक योग बनता है. भद्रा तिथि में सोमवार या शुक्रवार हो तो मृत्युनामक योग बनता है.

३. जाया तिथियां : ३,८,१३ तिथियां जया तिथियां कहलाती है. ये तिथियां मंगल से ज्यादातर प्रभावित होती है. इन तिथियों में नई फौज का गठन , शस्त्रों का निर्माण, युद्ध करना, सैनिक व युद्ध अभ्यास, गृह प्रवेश करना, दवाइयां बनाना जैसे कार्य प्रशस्त माने जाते है. इन तिथियों में अगर मंगलवार हो तो सवार्थसिद्ध योग बनता है. साथ ही अगर इन तिथियों में बुधवार हो तो मृत्युनामक योग बनता है.

४. रिक्ता तिथियां : ४,९,१४ तिथियां रिक्ता संज्ञक होती है. इन तिथियों में मुकद्दमा दायर करना, दुश्मन को कुचलना, ऑपरेशन करना या कराना, ईट भट्ठों में आग लगाने का मुहूर्त, बम विस्फोट करना, आतंकी गतिविधियां, शस्त्रों का प्रयोग करना या डकैती डालना जैसे कार्य प्रशस्त माने जाते है. उस दिन अगर शनिवार हो तो सवार्थसिद्ध नामक योग बनता है. अगर इस दिन गुरुवार हो तो मृत्युनामक योग बनता है.

५. पूर्णा तिथियां : ४,१०,१५ तिथियां पूर्णा तिथियां कहलाती है. इन तिथियों में विवाह, शादी, यज्ञ, नींव खोदना, गृह प्रवेश, फक्ट्री, लगाना, शांति यज्ञ, राज्याभिषेक, दुकान खोलना आदि कार्य प्रशस्त माने जाते है. अगर इस तिथि के दिन गुरुवार हो तो सवार्थसिद्ध योग तथा शनिवार हो तो मृत्युनामक योग बनता है.


                                                              ज्योतिषाचार्य : महेश शर्मा 

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