१. कुंडली में सप्तम भाव शादी का होता है और लड़कियों के लिए बृहस्पति ग्रह पति का कारक ग्रह होता है. यदि सप्तम भाव पर या सप्तम भाव के स्वामी पर या बृहस्पति पर शनि या राहु की दृष्टि हो तो शादी में देरी…
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शुभ व् अशुभ तिथियां : प्रत्येक पक्ष में १५ तिथियां होती है. इन तिथियों का प्रभाव भी जातक पर पड़ता आता है. इन तिथियों के नाम के अनुसार ही इनका शुभ और अशुभ फल माना जाता है. ये तिथियों प्रत्येक पक्ष…
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जब भी शनि कुंडली में केंद्र में बैठता है अर्थात १ , ४ , ७ , १० इन स्थानों में बैठता है तब शश योग नाम का पंचमहापुरुष राजयोग बनता है इस राजयोग…
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१. कुंडली में पांचवा स्थान पेट का होता है यदि पाचवे स्थान में राहु या केतु बैठा हुआ हो तो पेट से सम्बंधित बीमारी होने के योग बनते है. २. कुंडली में यदि पाचवे…
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१ लग्न में नीच का शुक्र होने पर जातक व्यभिचारी होता है गलत संगत में रहने के योग बनते है जीवन में भटकाव के योग बनते है। धन सम्बंधित समस्या के योग बनते है गृहस्त सुख में कमी के योग बनते है पारिवारिक…
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ज्योतिष में ग्रहो द्वारा जाने बिज़नेस : १. मंगल ग्रह से जुड़े बिज़नेस : प्रॉपर्टी, स्पोर्ट्स गुड्स, ठेकेदारी, सर्जरी का सामान, कंप्यूटर के पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स,…
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१ यदि कुंडली में बारवे स्थान पर राहु बैठा हुआ हो तो जेल जाने के योग बनते है। २ यदि कुंडली में बारवे स्थान पर राहु की दृष्टि हो तो भी जेल जाने की सम्भावना रहती…
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१. तुला लग्न में लग्नेश शुक्र बारवे स्थान पर बैठा हुआ हो और उस शुक्र पर शनि की दृष्टि पड़े तो बहुत मुहांसे, फोड़े, फुंसी निकलते है और चेहरे पर मुहांसो के गढ्डे बन जाते है। २.…
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मनुष्य का शरीर पांच प्रकार के तत्वों से मिलकर बना है। अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल। इन तत्वों पर राशियों का प्रभाव होता है। मनुष्य जिस राशि में पैदा होता है वह उस तत्व से प्रभावित होता है। अगर कोई व्यक्ति…
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चर राशि, स्थिर राशि, द्विस्वभाव स्वभाव राशियां व शीर्षोदय राशियां चर, स्थिर द्विस्वभाव और शीर्षोदय राशियों का फलित ज्योतिष में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान…
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